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Wednesday, December 15, 2010

Chahtein


यह चाहतें जो अभी तक मुझमे ज़िंदा हैं,
क्यूँ तेरी आस मे हर एक साँस ज़िंदा है,
कुछ अपने लोग जो अपने करीब लगते हैं,
क्यूँ जाने पहचाने चेहरे अज़ीब लगते हैं,

सच है तू पास नही, दूर भी नही शायद,
तुझसे अनजान नही, पहचान भी नही शायद,
तू है कहीं गुमशुदा, तुझको खबर नही शायद,
दिल मे छुपा सा कोई तुझसा है, मगर नही.... शायद......!!