Sunday, May 02, 2010

बचा रहने दो...!

जीवन की आपाधापी मे बिखर गयी एक प्रेम कहानी,
दिल तोड़ा है, मुह मत मोडो, जीवन शेष बचा रहने दो,

सबसे छुपके, नज़र बचा के,भेजे थे जो दिल से लगा के,
प्रेम भर वो पत्र ना फाडो कुछ अवशेष बचा रहने दो,

कोशिश हम दोनो ने की थी, नीतुर नियती की और थी इच्छा,
इस बेबस लाचार अहम का कुछ तो एहसास बचा रहने दो,

जीवनपथ पर मिले ना मिले, यादो मे तो आएँगे,
तुम मेरी थी, भले पलो की, यह विश्वास बचा रहने दो..!!


By Ravi

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