गीत गाकर चेतना को वर दिया मैने
आँसुओं के दर्द को आदर दिया मैने
प्रीत मेरी आस्था की भूख थी, सहकर
ज़िन्दगी़ का चित्र पूरा कर दिया मैने।
i just tried to add up few words...
ये नियति जीवन की जाने कब कहाँ ले जाय,
बन पथिक जीवन डगर को धर लिया मैने..!
मेरे चमन मे क्यूँ कोई मुझ सा नही रहा,
द्वंद को उत्तेजना मे कर लिया मैने ..!!
हौसले सूरज की गर्मी से ना पिघले थे कभी,
अब तो राहो मे नमी को भर लिया मैने..!
अब नयी तहज़ीब है - सब कुछ बिकाउ,
खुद को भी बेज़ार-ए-नज़र कर लिया मैने ..!!